पुणे न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र और पुणे के प्रसिद्ध वकील असीम सरोदे का वकालत लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने की है। उन पर आरोप था कि उन्होंने न्यायपालिका, तत्कालीन राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ आपत्तिजनक और आलोचनात्मक टिप्पणियां की थीं।
बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने इस मामले को पेशेवर दुर्व्यवहार बताया। समिति का कहना है कि सरोदे की टिप्पणियों से यह संदेश गया कि न्यायपालिका भ्रष्ट या दबाव में है, जिससे आम लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है। यह कार्रवाई राजेश दाभोलकर की शिकायत पर की गई थी। हालांकि समिति ने यह भी माना कि यह सरोदे के खिलाफ पहली शिकायत थी, इसलिए उन्हें सख्त सजा नहीं दी गई।
वकील असीम सरोदे ने इस आदेश को कानूनन गलत बताया है। उन्होंने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया में अपील करेंगे। सरोदे का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति का अपमान करना नहीं था, बल्कि व्यवस्था पर सवाल उठाना था ताकि उसमें सुधार हो सके।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने ‘फालतू’ शब्द का इस्तेमाल तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के लिए नहीं, बल्कि उस समय के एक राजनीतिक संदर्भ में किया था। सरोदे ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के निर्णय को लेकर भी असहमति जताई थी, जिसे गलत अर्थ में लिया गया।